मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत आगामी दिनांक 10 फरवरी से : सिविल सर्जन…

आगामी दिनांक 11 फरवरी से 25 फरवरी 2025 तक घर-घर जाकर दवा खिलाया जाएगा –
सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण प्रसाद ने कहा कि मांस ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान पूर्ण होने के बाद बेहतर प्रदर्शन करने वाले प्रखंड, सीडीपीओ, बीईईओ एवं स्वयं सहायता समूह को चिन्हित करके उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि आगामी दिनांक 11 फरवरी से 25 फरवरी 2025 तक घर-घर जाकर दवा खिलाया जाएगा, खिलाने के क्रम में महिला/पुरुष सभी को अपने सामने डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की खुराक आयुवर्ग के अनुसार दवा खिलाये, अक्सर देखा जाता है कि परिवार के सदस्यों की संख्या के अनुरूप दवा ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा परिवार के किसी एक सदस्य को दे दिया जाता है, जिसका सेवन बाद में परिवार के सदस्य नहीं करते, जिससे बीमारी बनी की बनी रहती है, इसलिए वैक्सीनेटर अपने सामने की आहर्ता रखने वाले आयुवर्ग को दवा खिलाए।
डब्ल्यूएचओ के चिकित्सक के अनुसार दवा खिलाने के समय बरती जाने वाले सावधानियां निम्न है :-
01 साल से कम उम्र के बच्चे, गर्भवती महिलाएं एवं गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की खुराक नहीं देनी है।
01 साल से 02 साल के बच्चे को डीईसी दवा की खुराक नहीं देनी है केबल एल्बेंडाजोल की आधी गोली पानी में घोलकर देना है।
02 साल से 05 साल के बच्चे को डीईसी एवं एल्बेंडाजोल की एक-एक गोली की खुराक देनी है।
06 साल से 14 साल के लोगों को डीईसी की दो गोली एवं एल्बेंडाजोल की एक गोली की खुराक देनी है।
15 साल से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन गोली एवं एल्बेंडाजोल की एक गोली की खुराक देनी है।
क्या करें –
फाइलेरिया के बारे में सामान्य जानकारी दें।
उम्र के अनुसार दवा की सही खुराक का प्रयोग करें।
भोजन के उपरांत ही दवा का सेवन करें।
परिवार के सभी सदस्य दवा का सेवन करें एवं अन्य व्यक्तियों को दवा लेने के लिए प्रेरित करें।
दवा खाने के उपरांत होने वाले प्रतिकूल प्रभाव की जानकारी लेने एवं देने का प्रयास करें।
गंदे जमे पानी को बहाने के लिए लोगों को प्रेरित करें।
क्या नहीं करें :-
1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दवा का सेवन नहीं कराए।
गर्भवती महिलाओं को फैलेरिया की दवा ना दें।
किसी भी स्थिति में खाली पेट दवा का सेवन ना करें।
गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को यह दवा नहीं दे।
फाइलेरिया बीमारी है क्या कृपया जाने :-
फाइलेरिया एक परजीवी बीमारी है, जो धागा के समान दिखने वाले ‘फाइलेरिओडी’ नामक निमेटोड के कारण होता है। यह एक संक्रामक उष्णकटिबंधीय बीमारी है। यह बीमारी मच्छर के काटने से फैलता है। जब एक संक्रमित मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो फाइलेरिया के परजीवी उसके रक्त में प्रवेश कर जाते हैं। ये परजीवी लसीका प्रणाली में रहते हैं, जो शरीर से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ निकालने में मदद करती है। समय के साथ, परजीवी लसीका प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन हो सकती है।
फाइलेरिया के लक्षणों में शामिल हैं :-
* बुखार
* ठंड लगना
* सिरदर्द
* मांसपेशियों में दर्द
* जोड़ों में दर्द
* त्वचा में जलन
* लसीका ग्रंथियों में सूजन
* हाइड्रोसील (अंडकोश की थैली में सूजन)
* हाथी पांव (पैरों या हाथों में सूजन)
फाइलेरिया का कोई इलाज नहीं है, लेकिन दवाओं से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आपको फाइलेरिया के लक्षण हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
फाइलेरिया से बचने के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं :-
* मच्छरों से बचाव करें
* मच्छरदानी का प्रयोग करें
* पूरी बाजू के कपड़े पहनें
* मच्छरों को मारने वाले स्प्रे का प्रयोग करें
* साफ पानी में नहाएं
* अपने आसपास के क्षेत्र को साफ रखें।