श्रीराम कथा आयोजन में शिव-पार्वती विवाहोत्सव प्रसंग में झूमा बोकारो

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बोकारो: शुक्रवार को बोकारो के मजदूर मैदान में चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा के आयोजन के दूसरे दिन शिव-पार्वती विवाहोत्सव के चर्चा के पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। कथा की शुरुआत हनुमान चालीसा के पाठ से हुआ। इसके पश्चात कथावाचक श्री राजन जी महाराज ने शिव-पार्वती के विवाह की कथा सुनाई, जो श्रोताओं के दिलों को छू गई। कथा के दौरान, महाराज जी ने मुनि भारद्वाज और ऋषि याज्ञवल्क्य के संवाद का उल्लेख करते हुए बताया कि जब मुनि भारद्वाज ने ऋषि याज्ञवल्क्य से पूछा कि श्रीराम कौन हैं, तो याज्ञवल्क्य जी ने बताया कि त्रेता युग में भगावन भगवान शिव दंडकारण्य के अगस्त्य ऋषि के आश्रम में सती जी के साथ गए थे, जहां श्रीराम कथा का वाचन हो रहा था। प्रभु नारायण की कथा को सुनकर भगवान शिव अत्यधिक प्रसन्न हो गए। पर मां सती ने कथा का श्रवण नहीं कर सकी। महाराज जी ने इस प्रसंग के माध्यम से भोले शंकर और माता सती के बीच के विछोह की कथा सुनाई। बताया कि किस प्रकार सती को संशय हो गया और इस संशय के कारण उन्होंने भेष बदलकर प्रभु श्रीराम का दर्शन किया और यही संशय भगवान शंकर व सती के विछोह का कारण बना। अर्थात संशय करने वाले व्यक्ति का हमेशा नुकसान होता है। बताया कि भगवान शंकर ने माता सती को समझाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उनकी बातों को सती जी ने नहीं समझा। इस संदर्भ में महाराज जी ने यह भी कहा कि अगर मन में कोई बात खटक रही हो तो वह सिर्फ किसी उपदेश से नहीं जाएगी। यदि किसी बात को समझने में कठिनाई हो तो उसे स्वीकार करने का स्वभाव बनाना चाहिए। महाराज जी ने विनाश काले विपरीत वुद्धि का उदाहरण देते हुए यह भी बताया कि कभी-कभी हम जो चाहें, वह नहीं हो पाता और जो भगवान की योजना होती है, वही होती है। उन्होंने कहा कि जब हिमाचल जी को नारद जी ने भगवान शंकर का वर्णन किया और हिमाचल जी ने उपाय पूछे, तो नारद जी ने उत्तर दिया कि जो लिखा है, वही होगा और उसे टालना संभव नहीं है। कथा के दौरान महाराज जी ने श्रद्धालुओं को यह उपदेश दिया कि जो प्रभु की लीला है, उसे समझकर उसके सहारे छोड़ देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संसार को कोई छोड़ सकता है, लेकिन मां का त्याग नहीं कर सकता, और यही सच्चाई है।

 हास्य व विनोद का मिश्रण :राजन जी महाराज की कथा में हास्य और विनोद का मिश्रण सुनकर श्रोताओं को आनंद आया। कथा के दौरान श्रद्धालु इतने प्रभावित हुए कि वे खड़े होकर झूमने से खुद को नहीं रोक पाए। महाराज जी ने यह भी मजाक किया कि जो लोग कथा में झूम रहे थे, वे पिछले जन्म में शिव-पार्वती के विवाहोत्सव के बाराती थे। इस कथा में बिहार सरकार की मंत्री श्रीमती रेणु देवी भी शामिल हुई। मौके कुमार प्रेमचंद, वीरेंद्र कुमार चौबे, ज्योति प्रकाश द्विवेदी, राजेश गुप्ता, अमित कुमार, शिव अग्रवाल सहित अन्य शामिल हुए । 


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