बगैर निर्वाचन के NJCS नेताओं की संख्या बढ़ रही है, जबकि सेल कर्मचारियों की संख्या घट रही है: BAKS

बगैर निर्वाचन के NJCS नेताओं की संख्या बढ़ रही है, जबकि सेल कर्मचारियों की संख्या घट रही है: BAKS
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NJCS सुधार पर BAKS ने इस्पात मंत्रालय तथा सेल प्रबंधन को भेजा, दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश

Bokaro:
Sail तथा RINL कर्मियों के मुद्दों को हल कराने के लिए गठित संस्था नेशनल ज्वाईंट कमेटी फॉर स्टील इंडस्ट्री (NJCS) में सुधार के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश की सत्यापित प्रति को बीएकेएस ने Ispat Secretary, Sail चेयरमैन तथा निदेशक कार्मिक को भेज दिया है. संघ ने बताया कि गौरतलब है कि एक तरफ सेल कर्मियों की संख्या दिन प्रतिदिन कम होते जा रही है, वहीं दूसरी ओर एनजेसीएस में बगैर निर्वाचित यूनियन नेताओ की संख्या बढ़ते जा रही है. कर्मचारियों के मु्द्दों को लगातार अधूरा छोड़ दिया जा रहा है, जिससे खिलाफ बीएकेएस ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था. दिनांक 28 नवम्बर 2024 को माननीय न्यायालय ने इस्पात मंत्रालय को तीन माह का समय देते हुए, यूनियन द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जल्द सकारात्मक निर्णय लेने का आदेश दिया है. माननीय न्यायालय के सत्यापित आदेश के साथ यूनियन ने एनजेसीएस में सुधार पर चौथी बार माँगपत्र भेजा है. इस संबंध में बीएकेएस अध्यक्ष हरिओम ने कहा कि सेल कर्मचारियों के भाग्य का फैसला, अब सेल कर्मचारी ही करेंगे. अधिकारियों की संस्था सेफी तथा कर्मचारियों की संस्था NJCS में प्रतिनिधियों के चयन का दोहरा मानक नहीं चलेगा. कर्मचारियों द्वारा चुने गए वास्तविक प्रतिनिधि ही एनजेसीएस के सदस्य रहेंगे. वहीं, संघ महासचिव दिलीप कुमार ने कहा कि अब इस्पात सचिव यथाशिघ्र एनजेसीएस में सुधार पर निर्णय ले. सेल कर्मचारियो का नेता कर्मचारियो द्वारा निर्वाचित नेता ही होंगे. 94 साल के नेता तथा उनका बेटा, 90 साल के वृद्ध तथा बाहरी लोग हमारे नेता नहीं बनेंगे.

यूनियन द्वारा इस्पात सचिव से किया गया माँग :-

1 . गैर निर्वाचित यूनियन प्रतिनिधियों को एनजेसीएस मीटिंग में भाग लेने पर तत्काल रोक लगाया जाय तथा उनके द्वारा किए गए सभी समझौते को रद्द किया जाय.

2 . एनजेसीएस को सेल तथा इस्पात मंत्रालय के अधीन आने वाले सभी PSU में कार्यरत अधिकारी वर्ग की संस्था स्टील एक्जक्यूटीव फेडेरेशन ऑफ इंडिया के तर्ज पर निबंधित किया जाय, जिसके सदस्य के रुप में यूनियन साईड से, सेल की सभी यूनिटों तथा आरआईएनएल से सेक्रेट बैलेट इलेक्शन के माध्यम से निर्वाचित यूनियनों के 2-2 प्रतिनिधि (कार्यकारी अध्यक्ष/अध्यक्ष, महासचिव) शामिल हो. उनकी अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष और उपमहासचिव को आल्टरनेट मेंबर के रुप में नामांकित किया जाय. एनजेसीएस मीटिंग के पहले वर्ष की अध्यक्षता कंपनी प्रबंधन और दूसरे वर्ष की अध्यक्षता यूनियन प्रतिनिधि (सभी निर्वाचित सदस्यो के बीच आम राय या बहुमत से नियूक्त) करे, ताकि एनजेसीएस में प्रबंधन और यूनियन के बीच शक्ति संतुलन को कायम रखा जा सके.

3 . एनजेसीएस में विभिन्न ट्रेड यूनियनों को तीन तीन नामांकन कोटे के सीट देने का नियम खत्म किया जाय. क्योंकि एनजेसीएस में सेल की यूनिटों तथा आरआईएनएल से कर्मियों के वास्तविक प्रतिनिधि के रुप में रिकॉगनाईज्ड ट्रेड यूनियन तथा उसके प्रतिनिधि पहले से ही सदस्य है.

4 . एनजेसीएस में सभी फैसले सर्वसम्मति से लिए जाय, Consensus की प्रथा को लागु रखा जाय.

5 . एनजेसीएस मीटिंग का वार्षिक कैलेण्डर, पहले ही जारी किया जाय या प्रत्येक तिमाही एक एनजेसीएस मीटिंग सुनिश्चित किया जाय.

6 . एनजेसीएस मीटिंग का एजेंडा तथा प्रजेंटेशन को एक सप्ताह पहले ही सदस्यों को भेज दिया जाय, ताकि मीटिंग से पूर्व सभी सदस्य अध्ययन मीटिंग में आ सके.

7 . एनजेसीएस में सब कमेटी का प्रावधन को खत्म किया जाय. इसकी जगह यूनियन साईड से प्रत्येक रिकॉगनाईज्ड यूनियन से 1-1 प्रतिनिधि लेकर कर्मचारी कल्याण कमेटी, मानकीकरण कमेटी, सुरक्षा कमेटी, ईएफबीएस कमेटी, पेंशन कमेटी का गठन किया जाय. जिसकी मीटिंग प्रत्येक छह माह में एक बार अवश्य आयोजित किया जाय.

8 . एनजेसीएस मीटिंग सेल तथा आरआईएनएल के यूनिटो में आयोजित किया जाय. जहाँ सभी यूनिटों के सुव्यवस्थित अतिथि गृह तथा निवास होटल है. इससे पाँच सितारा होटलों का खर्च बचेगा.

9 . एनजेसीएस में लिए गए निर्णयों की पारदर्शिता के लिए एक एनजेसीएस ऑनलाईन पोर्टल बनाया जाय. जहाँ पर सभी समझौते को प्रदर्शित किया जाय.

10 . एनजेसीएस को आरटीआई के दायरे में रखने के लिए केंद्रिय मुख्य सुचना अधिकारी महोदय द्वारा जारी आदेश को कायम रखा जाय.

11 . सेल, आरआईएनएल या इस्पात मंत्रालय के अन्य सभी पीएसयु में कार्यरत ठेका श्रमिकों के लिए अलग कमेटी बनाई जाय. क्योंकि ठेका श्रमिकों का वेज राज्य सरकारें तय करती है तथा उनके नियोक्ता भी अलग अलग होते है.

12 . किसी मुद्दे पर एक वर्ष तक प्रबंधन और यूनियन प्रतिनिधियों के बीच आम सहमति नहीं बनने पर इस्पात मंत्रालय तथा श्रम मंत्रालय की संयुक्त भागिदारी में एक लीगल कमेटी बनाई जाय. उक्त कमेटी में अध्यक्ष के तौर पर किसी भी उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायमूर्ती अध्यक्ष रहे तथा इस्पात मंत्रालय की तरफ से संयूक्त सचिव तथा श्रम मंत्रालय की तरफ से मुख्य श्रम आयुक्त सदस्य के तौर नामांकित रहे.

13 . प्रत्येक एनजेसीएस समझौता पत्र पर दोनों पक्षों (प्रबंधन और यूनियन) के प्रतिनिधियों का नाम, पदनाम, यूनियन का नाम टाईप रखा जाय तथा उसके बगल में प्रतिनिधियों का हस्ताक्षर करवाया जाय. वर्तमान में समझौता पत्र पर केवल हस्ताक्षर रहता है. हस्ताक्षर करने वाले का नाम, पदनाम का जिक्र नही किया जाता है.

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